Wednesday, November 25, 2009

यादों के झरोखों से

यादों के झरोखों से जब भी मैं झांकता हूँ
तुम्हारी खिलखिलाती तस्वीर पाता हूँ
और उस तस्वीर को देख
मैं उदास हो जाता हूँ
अपनी तकदीर को कोसता हूँ
दिल ही दिल में रो लेता हूँ
और जब मन भर जाता है रोने से
तो आंसू पोंछ लेता हूँ
दिल को समझाता हूँ
जैसे कुछ हुआ ही न हो
दिल बेचारा गम का मारा
क्या न करता
गम भुलाकर चुपचाप हो जाता है
और मैं यादों के झरोके से फिर झांकनेलगता हूँ.

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